25 दिसम्बर 2022 को सैंथवार-मल्ल-राजपूत ट्रस्ट के तत्वाधान में नारी सशक्तिकरण, समाजिक कुरीतियों का उन्मूलन और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने के पिछले 18 वर्षों से किये जा रहे सतत प्रयासों की परम्परा को आगे बढ़ते हुए, भव्य पारिवारिक मिलन समारोह हुआ जिसमे देश भर से आये हुए ट्रस्ट के सदस्यों, उनके परिवारों सहित बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने भारी संख्या में भाग लिया.
संस्था के मुख्य संरक्षक डॉ विनोद मल्ल, आई0 पी0 एस0, पूर्व डी०जी०पी० गुजरात, संस्थापक सदस्य श्री0 श्रीकृष्ण सिंह, विशेष सचिव परिवहन (सेवा निवृत), श्री0 राजेश प्रताप सिंह, मुख्य समन्वयक, श्री शैलेन्द्र कबीर, सचिव सैंथवार-मल्ल-राजपूत ट्रस्ट, इत्यादि ने सभा को संबोधित किया.
डॉ0 विनोद मल्ल ने समाज को अपनी सनातन परम्पराओं के निहित मूल्यों के सच्चे भावार्थ को समझ उन्हें आत्मसात करते हुए एवं साथ ही वैज्ञानिक सोंच रखते हुए देश निमार्ण के आभियान में अपना अपना योगदान देने का आह्वान किया. उन्होंने देश की तमाम जातियों, धर्मो, भाषाओँ, वैचारिक विविधताओं और रीति रिवाजों का सम्मान करने और आपसी सद्भाव को बनाये रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए, भारत देश को विभिन्न रंगों के सुंदर फूलों वाला ऐसा गुलदस्ता बताया जो विश्व में अनोखा है. उन्होंने बुद्ध, गुरु गोरखनाथ और कबीर की इस पावन भूमि गोरखपुर के लोगो को इन महान विभूतियों के मूल्यों और उपदेशों को आत्मसात करते हुए, पूर्वांचल की गौरव-पताका पूरे विश्व में लहराने का आह्वान किया.
श्री0 श्रीकृष्ण सिंह जी ने समाज को छुद्र स्वार्थों से उपर उठकर परोपकार और समाजसेवा की भावना को अंगीकार करने की आवश्यकता पर बल दिया.
श्री राजेश प्रताप सिंह जी ने समाज के लोगों प्रेरणादायक सन्देश देते हुए कहा कि बिना परस्पर सद्भाव, सहयोग और आदर के , न तो कोई व्यक्ति आगे बढ़ सकता है और न ही समाज. इन गुणों को आत्मसात करके ही हम स्वयं का व्यक्तिव निर्माण करने के साथ ही साथ देश निर्माण की प्रक्रिया में अपने योगदान दे सकते हैं.
ट्रस्ट की महिलाशक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए श्रीमती मंजू सिंह, श्रीमती इंदू सिंह, नीलम सिंह, संध्या सिंह, मिनाक्षी सिंह, सपना सिंह, स्वाति सिंह, नीतू सिंह, अनुराधा मल्ल, आयुषी, शैल्वी, पीहू, विदुषी, गार्गी. ओजस्विनी, जीविथा, प्रकांक्षी, यशस्विनी, वर्तिका, कनिष्का, रखी, शालिनी, दृष्टि, सृष्टि इत्यादि ने अपने वक्तव्यों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नाटक, गीतों के माध्यम से दहेज़ जैसी सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया और कन्या शिक्षा, नारी सशक्तिकरण, नारी स्वालंबन पर बल देते हुए, नारियों को देश निर्माण की प्रक्रियामें बढचढ कर, बराबरी की भागेदारी करने का आह्वान किया.