विश्व पटल पर किसी भी संगठन या समूह का 'logo / प्रतिक चिन्ह' उसकी विरासत से ले उसकी आकांक्षाओं की घोषणा करता है। यह बीते हुए उसके सुनहरे कल से आनेवाले उसके सुनहरे कल को जोड़ता है और उस दिशा में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। ट्रस्ट का प्रतिक चिन्ह भी अपनी विरासत से ले आनेवाले सुनहरे कल की ओर कूच करने की प्रेरणा से लबरेज है। 2400 साल पहले, धर्म चक्र के घूमने से गण संघीय क्षत्रिय समाज में हुए मंथन से जहाँ यह सैंथवार-मल्ल समाज के सृजन की घोषणा करती है तो वहीँ हरी पत्तियो के रूप में शांति और कृषि से उनके संबंध को उकेरती है। तलवार जहाँ वैदिक, महाजनपद, गण-संघ से ले मध्य-आधुनिक काल के भारत में उनके शासन का प्रतिक है तो वही तीन मुख्य समूहों (सैंथवार-मल्ल-राजपूत) की छोटी सी आबादी के आपसी सहयोग से बना ट्रस्ट उनका वर्तमान है जो आगे बढ़ने का द्योतक है और शान से लहरा रहा है। इन सबके पीछे दूर क्षितिज पर उगते सूर्य के रूप में उभरता हुआ सुनहरा भविष्य है जो 2400 साल पहले के गौरवशाली स्तर को भी अपनी आभा में ढकने के लिए आतुर है।
By Jay Singh, Indonesia